Satya Pal Malik: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को लंबी बीमारी के बाद दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया। वह लंबे समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित थे।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का आज दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में निधन हो गया।वह 79 साल के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे।उन्होंने मंगलवार दोपहर करीब 1 बजे नई दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अंतिम सांस ली,जहां उनका इलाज चल रहा था।वह काफी समय से किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे।
आइए जानते हैं कि ये कितने पढ़े-लिखे थे और कैसे उन्होंने अपने करियर में कई बड़े पद संभाले?
सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को यूपी के बागपत जिले के हिसवदा गांव में हुआ था।वह एक जाट परिवार से संबंध रखते थे।उनके पिता का नाम बुध सिंह और माता का नाम जगनी देवी था।बचपन में ही पिता का साया उठ गया और मां ने उनका पालन-पोषण किया।पढ़ाई की बात करें तो उन्होंने मेरठ कॉलेज से बीएससी और एलएलबी की डिग्री हासिल की थी।1960 के दशक में मेरठ में 5 साल पढ़ाई के बाद 1968-69 में वो छात्र संघ के प्रेसिडेंट बने और यहीं से उनकी राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई।
सत्यपाल मलिक का परिवार: उनके परिवार में कौन-कौन हैं?
उनके परिवार में पत्नी इकबाल मलिक हैं जो एक पर्यावरणविद् हैं।बेटा देव कबीर एक फेमस ग्राफिक डिजाइनर है और बहू निविदा चंद्रा आईआईटी ग्रेजुएट हैं।
सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर: कितने बड़े पदों पर रहे?
सत्यपाल मलिक ने अपने करियर में कई राज्यों में गवर्नर की भूमिका निभाई. वह 30 सितंबर 2017 से 21 अगस्त 2018 तक बिहार के गवर्नर रहे। इसके बाद उन्हें 21 मार्च 2018 से 28 मई 2018 तक ओडिशा के गवर्नर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक वह जम्मू-कश्मीर के गवर्नर रहे। इसके बाद 3 नवंबर 2019 से 18 अगस्त 2020 तक वह गोवा के गवर्नर बने।18 अगस्त 2020 से 3 अक्टूबर 2022 तक वह मेघालय के गवर्नर रहे।जब 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था।उस समय वह जम्मू-कश्मीर के गवर्नर थे।
मोदी समर्थक से उनके कट्टर आलोचक बने
जम्मू-कश्मीर से गोवा राजभवन भेजे जाने के बाद सत्यपाल मलिक के रुख में परिवर्तन देखा गया और वह मोदी समर्थक से उनके सबसे बड़े आलोचक बन गए।सत्यपाल मलिक ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले घोषणा की थी कि वह रालोद और समाजवादी पार्टी का समर्थन करेंगे। बागपत स्थित अपने गांव हिसावदा में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा था, ‘मेरा सक्रिय राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं है, बल्कि मैं रालोद और सपा के मार्गदर्शक के रूप में काम करना चाहता हूं और उन किसानों के कल्याण और अधिकारों के लिए लड़ना चाहता हूं, जो मोदी सरकार की किसान-विरोधी नीतियों का शिकार हुए हैं।
किरू हाइड्रो प्रोजेक्ट स्कैम में आया था नाम
सत्यपाल मलिक ने यह भी आशंका जताई कि चूंकि राज्यपाल पद से हटने के बाद उनकी संवैधानिक सुरक्षा नहीं रही, इसलिए उन्हें केंद्रीय एजेंसियों की जांच का सामना करना पड़ सकता है।बाद में सीबीआई ने किरू जलविद्युत परियोजना के लिए 2,200 करोड़ रुपये के सिविल वर्क के ठेके देने में कथित अनियमितताओं के संबंध में सत्यपाल मलिक और 7 अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।
सीबीआई ने इस केस में 20 अप्रैल, 2022 को मामला दर्ज किया था. आरोप है कि चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (CVPPPL)की 47वीं बोर्ड बैठक में शुरू में चल रहे टेंडरिंग प्रोसेस को रद्द करने और रिवर्स ऑक्शन के साथ ई-टेंडरिंग के माध्यम से पुनः टेंडरिंग प्रोसेस का विकल्प चुनने का निर्णय लिया गया था। हालांकि, 48वीं बोर्ड बैठक में कथित तौर पर इस निर्णय को पलट दिया गया और 2019 के बैक डेट में पटेल इंजीनियरिंग को ठेका दे दिया गया।
सत्यपाल मलिक के घर पड़ी थी CBI की रेड
सीबीआई ने इस मामले में फरवरी 2024 में 8 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 30 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की और तलाशी ली।जिनमें सत्यपाल मलिक के परिसर भी शामिल थे. ये तलाशी जम्मू, श्रीनगर, दिल्ली, गुरुग्राम, मुंबई, बागपत, नोएडा, पटना, जयपुर, जोधपुर, बाड़मेर,नागौर और चंडीगढ़ में ली गईं. कई चार्टर्ड अकाउंटेंट के परिसरों की भी तलाशी ली गई थी।उनके खिलाफ इस मामले में सीबीआई की जांच चल रही थी।